एक विवाह ऐसा भी… संविधान को साक्षी मानकर शुरू हुआ दाम्पत्य जीवन… रामपुरा के राहुल बड़ोदे ने रची नई परंपरा…
24 दिसंबर 2025
खरगाेन
खरगोन। जिले में बुधवार को हुआ एक विवाह समारोह केवल शादी नहीं था… वह एक विचार था… एक संदेश था… और परंपराओं से आगे बढ़कर समाज को आईना दिखाने वाला क्षण भी… रामपुरा निवासी राहुल बड़ोदे और उनकी जीवनसंगिनी ने भारतीय संविधान को साक्षी मानकर दाम्पत्य जीवन की शुरुआत की… और देखते-ही-देखते यह विवाह पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया…
आज जब अधिकांश विवाह कर्मकांडों, मंत्रोच्चार और पंडितों के निर्देशों से बंधे होते हैं… वहीं इस जोड़े ने 21वीं सदी की चेतना के साथ एक अलग राह चुनी… यह विवाह न अग्नि के फेरे से जुड़ा था… न किसी धार्मिक अनुष्ठान से… बल्कि यह जुड़ा था समानता, सम्मान और संवैधानिक मूल्यों से…
बुधवार की शाम जिला मुख्यालय स्थित आंबेडकर पार्क में वर–वधू ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया… इसके बाद भारतीय संविधान की शपथ लेकर एक-दूसरे को जीवनसाथी स्वीकार किया… संविधान की प्रस्तावना के शब्द उस क्षण सिर्फ पढ़े नहीं गए… बल्कि उन्हें जीवन में उतारने का संकल्प लिया गया…
यह विवाह उस सोच का प्रतीक बना… जो मानती है कि शादी केवल धार्मिक रस्म नहीं… बल्कि दो बराबर व्यक्तियों के बीच समझ, सहमति और अधिकारों का सामाजिक अनुबंध है… संविधान को साक्षी मानकर किया गया यह विवाह यह भी बताता है कि आज का युवा अपनी निजी ज़िंदगी में भी लोकतांत्रिक मूल्यों को जगह देना चाहता है…
समारोह के दौरान परिवारजन, मित्रों और समाज के लोगों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और मजबूत बनाया… बहुजन समाज पार्टी के मुख्य जिला प्रभारी नरेंद्र कँचोले, राहुल बड़ोले, सत्यम मालाकार सहित कई लोग इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने… उपस्थित लोगों ने इसे बाबा साहब के विचारों की जीवंत अभिव्यक्ति बताया…
यह शादी कई सवाल भी छोड़ गई…
क्या आने वाले समय में विवाह की परिभाषा बदलेगी…? क्या रस्मों से ज्यादा संविधान और समानता को महत्व मिलेगा…?
रामपुरा के राहुल बड़ोदे और उनकी जीवनसंगिनी ने बिना भाषण दिए… बिना नारे लगाए… अपने जीवन के फैसले से इसका जवाब दे दिया है…
यह सिर्फ एक विवाह नहीं था… यह विचारों का संगम था… यह संविधान में विश्वास की सार्वजनिक घोषणा थी और शायद आने वाले समय की एक मजबूत शुरुआत भी…





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